भारत में, महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक ब्रेस्ट कैंसर है। आंकड़े बताते हैं कि यह अब महिलाओं में होने वाला सबसे आम कैंसर बन चुका है। विश्व स्तर पर भी, यह रोग एक गंभीर स्वास्थ्य चिंता बना हुआ है। दुःख की बात यह है कि जागरूकता की कमी और संकोच के कारण अक्सर महिलाएं इसके शुरुआती संकेतों को नजरअंदाज कर देती हैं, जिससे रोग एडवांस स्टेज (अंतिम चरण) में पहुँच जाता है, जहाँ इसका उपचार मुश्किल हो जाता है।
लेकिन एक अच्छी खबर यह है कि यदि स्तन कैंसर के लक्षण को शुरुआती दौर में ही पहचान लिया जाए, तो इसका सफल इलाज पूरी तरह से संभव है। विशेषज्ञों का मानना है कि जल्दी निदान के साथ इलाज की सफलता दर 90% से अधिक हो सकती है।
यह विस्तृत लेख आपको ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण (breast cancer symptoms in Hindi), इसके शुरुआती संकेत, स्तन में गांठ के कारण, ब्रेस्ट कैंसर की पहचान कैसे करें और स्तन कैंसर के शुरुआती लक्षण और उपचार की संपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। हमारा उद्देश्य आपको इतना जागरूक बनाना है कि आप इस बीमारी का डटकर मुकाबला कर सकें और खुद को व अपने परिवार को सुरक्षित रख सकें।
स्तन कैंसर तब शुरू होता है जब स्तन की कोशिकाएं (Cells) अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं और एक ट्यूमर (गांठ) बना लेती हैं। यह आमतौर पर स्तन में दूध बनाने वाली ग्रंथियों (लोब्यूल्स) या दूध ले जाने वाली नलिकाओं (डक्ट्स) से उत्पन्न होता है।
सामान्य स्तन कोशिकाएं एक नियंत्रित तरीके से बढ़ती और विभाजित होती हैं। जब ये कोशिकाएं नियंत्रण खो देती हैं और असामान्य रूप से बढ़ती हैं, तो वे कैंसर का रूप ले लेती हैं। यह ट्यूमर आस-पास के स्वस्थ ऊतकों पर आक्रमण कर सकता है। अगर ये कैंसर कोशिकाएं रक्त या लसीका प्रणाली (Lymphatic System) के माध्यम से शरीर के अन्य भागों में फैल जाती हैं, तो इसे मेटास्टेसिस (Metastasis) कहते हैं।
जागरूकता की पहली सीढ़ी स्तन कैंसर के लक्षण (स्तन कैंसर के लक्षण) को पहचानना है। प्रत्येक महिला को अपने शरीर के बारे में पता होना चाहिए और किसी भी असामान्य बदलाव को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। मासिक रूप से खुद की जांच करना और इन संकेतों के प्रति सचेत रहना ही समय पर निदान की कुंजी है।
ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती संकेत में सबसे प्रमुख है स्तन या बगल (Armpit) में गांठ का महसूस होना, क्योंकि 80% से अधिक मामलों में यह पहला संकेत होता है।
निप्पल में होने वाला कोई भी बदलाव खतरे का एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है:
स्तनपान के अलावा किसी भी स्थिति में निप्पल से दूध, पानी, खून या किसी अन्य प्रकार के तरल पदार्थ का स्राव होना चिंता का विषय है।
स्तन की त्वचा में परिवर्तन को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है, जबकि यह एक महत्वपूर्ण स्तन कैंसर के लक्षण है:
यदि आपको अपने एक स्तन के आकार या आकृति में अचानक या स्पष्ट बदलाव महसूस होता है, तो इसे गंभीरता से लें। एक स्तन का दूसरे से अचानक बड़ा या छोटा दिखना।
स्तन कैंसर अक्सर लिम्फ नोड्स (लसीका ग्रंथियों) के माध्यम से फैलता है। बगल या कॉलरबोन के नीचे एक कठोर गांठ महसूस होना भी रोग के फैलने का संकेत हो सकता है।
हालांकि अधिकांश कैंसरग्रस्त गांठें दर्द रहित होती हैं, लेकिन यदि आपको स्तन के किसी एक विशिष्ट क्षेत्र में लगातार बना रहने वाला दर्द या असहजता महसूस हो, जो मासिक धर्म के बाद भी दूर न हो, तो डॉक्टर को दिखाएँ।
जैसा कि ऊपर बताया गया है, स्तन में गांठ महसूस होने का मतलब हमेशा कैंसर नहीं होता। स्तन में गांठ के कारण कई हो सकते हैं। एक महिला के जीवनकाल में, हार्मोनल उतार-चढ़ाव के कारण गांठें बनना काफी सामान्य है।
ये गांठें आमतौर पर कैंसर का रूप नहीं लेतीं और कई महिलाओं में पाई जाती हैं:
डॉक्टर से परामर्श क्यों आवश्यक है: चूंकि सामान्य गांठें और कैंसरग्रस्त गांठें शुरुआती चरण में दिखने में समान हो सकती हैं, इसलिए केवल एक चिकित्सा पेशेवर ही जांच, मैमोग्राफी या बायोप्सी के माध्यम से सही निदान कर सकता है। स्वयं निदान करने से बचें।
ब्रेस्ट कैंसर की पहचान कैसे करें? पहचान की प्रक्रिया में तीन मुख्य चरण शामिल होते हैं: जागरूकता और आत्म-जांच, नैदानिक जांच, और इमेजिंग/बायोप्सी।
यह सबसे आसान तरीका है जिससे आप अपने स्तनों की सामान्य बनावट से परिचित हो सकती हैं।
किसी भी नए, असामान्य या लगातार बने रहने वाले बदलाव की पहचान करना।
यह डॉक्टर या प्रशिक्षित स्वास्थ्य पेशेवर द्वारा की जाने वाली जांच है। 20 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को नियमित रूप से यह जांच करानी चाहिए।
यदि इमेजिंग टेस्ट में कुछ संदिग्ध पाया जाता है, तो डॉक्टर अंतिम निदान के लिए बायोप्सी की सलाह देते हैं। इसमें गांठ के एक छोटे से हिस्से को सुई की मदद से निकालकर प्रयोगशाला में जांचा जाता है। यह निर्धारित करता है कि कोशिकाएं कैंसरग्रस्त हैं या नहीं, और यदि हैं तो कैंसर का प्रकार (हार्मोन रिसेप्टर स्थिति, HER2 स्थिति) क्या है।
स्तन कैंसर के शुरुआती लक्षण और उपचार का परिणाम सीधे तौर पर निदान की गति पर निर्भर करता है। चरण-I में निदान किए गए कैंसर के ठीक होने की संभावना बहुत अधिक होती है।
उपचार योजना पूरी तरह से कैंसर के चरण (Stage), प्रकार, ट्यूमर का आकार, हार्मोन रिसेप्टर की स्थिति और रोगी के समग्र स्वास्थ्य पर निर्भर करती है।
यह प्राथमिक उपचार है, जिसका उद्देश्य ट्यूमर को हटाना है।
सर्जरी के बाद (विशेषकर लम्पेक्टॉमी के बाद) बचे हुए कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए उच्च-ऊर्जा किरणें (High-energy beams) भेजी जाती हैं।
कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है। ये दवाएं मौखिक रूप से या इंजेक्शन के माध्यम से दी जाती हैं। यह सर्जरी से पहले (ट्यूमर को सिकोड़ने के लिए) या बाद में (बची हुई कोशिकाओं को खत्म करने के लिए) दी जा सकती है।
यह उपचार केवल कैंसर कोशिकाओं को लक्षित करता है, जैसे कि HER2-पॉजिटिव कैंसर में। यह स्वस्थ कोशिकाओं को कम नुकसान पहुँचाता है।
यदि कैंसर कोशिकाएं हार्मोन रिसेप्टर-पॉजिटिव (HR+ve) हैं (यानी, हार्मोन के कारण बढ़ती हैं), तो इस थेरेपी का उपयोग हार्मोन के प्रभाव को रोकने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, टैमोक्सीफेन या एरोमेटेज़ इनहिबिटर दवाएं।
हालांकि कैंसर को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, लेकिन कुछ जोखिम कारकों को नियंत्रित किया जा सकता है:
जोखिम कारक | विवरण |
---|---|
लिंग और उम्र | महिला होना और 50 वर्ष से अधिक उम्र। |
पारिवारिक इतिहास | BRCA1 और BRCA2 जीन म्यूटेशन या स्तन कैंसर का पारिवारिक इतिहास। |
जीवनशैली | मोटापा, शराब का अत्यधिक सेवन, धूम्रपान, शारीरिक गतिविधि की कमी। |
प्रजनन इतिहास | 30 वर्ष की उम्र के बाद पहला बच्चा होना, या कभी बच्चे न होना। |
हार्मोनल कारक | लंबी अवधि तक हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) लेना। |
स्तन कैंसर के लक्षण (breast cancer symptoms in Hindi) को जानना, और समय पर ब्रेस्ट कैंसर की पहचान कैसे करें इसके तरीकों को समझना, हर महिला के लिए एक जीवनरक्षक ज्ञान है। कैंसर एक गंभीर रोग है, लेकिन यह असाध्य नहीं है।
संकोच और डर को दूर करें। यदि आपको स्तन में गांठ के कारण या किसी भी अन्य स्तन कैंसर के शुरुआती लक्षण को लेकर कोई संदेह है, तो तुरंत चिकित्सा परामर्श लें। जल्दी पहचान, बेहतर उपचार और संपूर्ण स्वास्थ्य की कुंजी है। जागरूकता ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।
याद रखें: अपने स्वास्थ्य की जिम्मेदारी लेना और नियमित जांच कराते रहना ही इस बीमारी से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है।